एक अजीब दास्तान – Love Sad Shayari

एक अजीब दास्तान – Love Sad Shayari

एक अजीब दास्तान है मेरे अफसाने की, मैने पल पल कोशिश की उसके पास जाने की, किस्मत थी मेरी या साजिश थी ज़माने की, दूर हुई मुझसे इतना जितनी …उम्मीद थी उसके करीब आने...
आरजू तमाम

आरजू तमाम

आरजू तमाम पिघलने लगी हैं,लो और एक शाम फिर से ढलने लगी है,हसरत-ए-मुलाकात का शौक है बस,ये ज़िद भी तो हद से गुजरने लगी है...
हर एक बात पर

हर एक बात पर

  हर एक बात पर वक़्त का तकाजा हुआ, हर एक याद पर दिल का दर्द ताजा हुआ, सुना करते थे ग़ज़लों में जुदाई की बातें, खुद पे बीती तो हकीकत का अंदाजा...
मैं तेरा मुंतज़िर हूँ

मैं तेरा मुंतज़िर हूँ

मैं तेरा मुंतज़िर हूँ मुस्कुरा के मिल कब तक तुझे तलाश करूँ अब आ के मिल यूं मिल के फिर जुदाई का लम्हा न आ सके जो दरमियाँ में है सभी कुछ मिटा के...

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