यह तो “महाकाल” है.

यह तो “महाकाल” है.

ये काल है,कराल है, चन्द्र इसके भाल है  खोलदी जटा छटा तो, देख लो विशाल है,नंदी के सवार नंदी, दौड़ता अपार पार  रोके कौन,टोके कौन, किसकी येे मजाल है ?ये प्रलय सी चाल है, और गले में व्याल है  धरा गगन है डोलते, सुन के डमरू ताल है,दिशा-दिगंत डोलते, गगन से...
हे मुरलीधर छलिया

हे मुरलीधर छलिया

हे मुरलीधर छलिया मोहन, हम तुमको दिल दे बैठे,  गम पहले ही क्या कम थे, इक और मुसीबत ले बैठे…मन कहता है तुम सुन्दर हो, आँखें कहतीं है दिखलाओ,  तुम मिलते नहीं हो आकर के, हम कैसे कहें ये बैठे…हे मुरलीधर, छलिया मोहन, हम तुमको दिल दे बैठे,  गम पहले...

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