लहजे याद रखता हूँ - Mulakat Ke Lehje Shayari

मैं लोगों से मुलाक़ातों के लम्हे याद रखता हूँ,
मैं बातें भूल भी जाऊं तो लहजे याद रखता हूँ,
ज़रा सा हट के चलता हूँ ज़माने की रवायत से,
जो सहारा देते हैं वो कंधे हमेशा याद रखता हूँ |

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