बिछड़ने की शायरी हिंदी में / जुदाई शायरी का संग्रह हिन्दी में पढें

बिछडनें और जुदाई शब्द पर शायरी पढें


ये किस मोड़ पर तुम्हे बिछड़ने की सूझी,
मुद्दतों के बाद तो संवरने लगे थे हम…


हालात का तक़ाज़ा था , एक बार मिल के हम
बिछड़े कुछ इस अदा से , के दोबारा मिल न सकें


उनकी नज़रों से दूर हो जायेंगे हम ,
कहीं दूर फ़िज़ाओं में खो जायेंगे हम ,
मेरी यादों से लिपट के रोयेंगे वो ,
ज़मीन ओढ के जब सो जायेंगे हम..


तुझे चाहा तो बहुत इजहार न कर सके,
कट गई उम्र किसी से प्यार न कर सके,
तूने माँगा भी तो अपनी जुदाई माँगी,
और हम थे कि तुझे इंकार न कर सके।


न गिला है कोई हालात से ,
न शिकायत किसी की ज़ात से ,
खुद ही सारे वर्क जुदा हो रहे है ,
मेरी ज़िन्दगी की किताब से …


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